वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे का 5.9 फीसद रखा गया लक्ष्य, 2025-26 तक 4.5 फीसद से नीचे आने की संभावना
Updated : Wed, 01 Feb 2023 04:45 PM

कोरोना काल और यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से जहां दुनिया के तमाम देश जबरदस्त राजकोषीय मुश्किलों से जूझ रहे हैं वहीं भारत सरकार का राजकोषीय प्रबंधन सही तरफ बढ़ता दिख रहा है। छह फीसद से ज्यादा की आर्थिक विकास दर और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर संग्रह की बेहतर होती स्थिति को देखते हुए वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य 5.9 फीसद रखा गया है जबकि वर्ष 2022-23 में यह घाटा 6.4 फीसद रहने की बात कही गई है।
वैसे 3.5 फीसद से ज्यादा का राजकोषीय घाटे को अच्छा नहीं माना जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे का स्तर 4.5 फीसद लाया जा सकेगा।
कोरोना काल का असर लंबा रहेगा
राजकोषीय प्रबंधन से जुड़े बजटीय आंकड़े से साफ है कि वर्ष 2020 के कोरोना महामारी ने सरकार के राजस्व पर जो असर डाला उसकी भरपाई करने में कई वर्ष लग जाएंगे। वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा (जीडीपी के मुकाबले) बढ़ कर 9.2 फीसद हो गया था। कारण यह है कि उस समय सरकार को बाजार से काफी ज्यादा उधारी लेनी पड़ी थी। असर यह है कि अब सरकार अपने कुल राजस्व का 20 फीसद कर्ज पर ब्याज अदाएगी में कर रही है। इसका खुलासा मंगलवार को पेश बजट प्रपत्र में किया गया है।
जीएसटी वसूली और प्रत्यक्ष कर संग्रह
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि किसी भी देश के लिए कुल राजस्व का 20 फीसद या इससे ज्यादा ब्याज के तौर पर भुगतान एक चिंताजनक तथ्य है। वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि अगले वित्त वर्ष के दौरान सरकार के कुल राजकोषीय घाटा 17.87 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जिसमें से 11.8 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम सरकार उधारी ले कर करेगी। यह स्थिति तब है जब सरकार को जीएसटी वसूली और प्रत्यक्ष कर संग्रह उसकी उम्मीदों से बेहतर हो रहा है।