NFSA के तहत 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिए जाने से बढ़ेगा दबाव, सब्सिडी बिल को काबू में रखने की कोशिश
Updated : Sat, 24 Dec 2022 04:51 PM

पिछले तीन वित्त वर्षों से कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध ने केंद्र सरकार के सब्सिडी को लेकर लगाये गये हर बजटीय आकलन को गलत साबित किया है, लेकिन जो संकेत अभी मिल रहे हैं, उससे आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में तस्वीर बदल सकती है।
सब्सिडी बोझ को काबू में कर सकती है सरकार
सरकार का आकलन है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जींसों और प्राकृतिक गैस की कीमतों में आई नरमी का सीधा असर सब्सिडी के मामले में दिखाई देगा और वह सब्सिडी बोझ को एक हद तक काबू में कर सकती है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर संग्रह में हो रही लगातार वृद्धि से भी सरकार का विश्वास मजबूत हुआ है कि वह मुफ्त अनाज योजना को लागू रखने के बोझ को आसानी से सहन कर सकेगी।
संकेत है कि आगामी वित्त वर्ष के लिए खाद्य, फर्टिलाइजर और पेट्रोलियम सब्सिडी के मद में 3.20 लाख करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान होंगे। आम बजट 2022-23 में खाद्य, उर्वरक व पेट्रोलियम के मद में कुल सब्सिडी बिल के 3.18 लाख करोड़ रुपये रखने का प्रावधान था, जबकि अब इस वर्ष के लिए वास्तविक सब्सिडी की राशि पांच लाख करोड़ रुपये के भी पार हो जाने की संभावना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट-2022 पेश करते हुए कहा था कि सब्सिडी के बोझ को पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 27 फीसद कम किया जा रहा है, लेकिन 81 करोड़ से ज्यादा की आबादी को मुफ्त अनाज देने और उर्वरक सब्सिडी में भारी वृद्धि से पूरा गणित उलट गया है।
अगले वित्त वर्ष में नहीं होगी इस साल जैसी स्थिति
वित्त मंत्रालय से जुड़े कुछ अधिकारियों का कहना है कि इस साल जैसी स्थिति अगले वित्त वर्ष नहीं होगी। एक तो मुफ्त अनाज को लेकर ही स्थिति साफ हो गई है कि यह जारी रहने वाली है। दूसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमतों में नरमी आने का सीधा असर उर्वरक सब्सिडी पर दिखने वाला है।
उर्वरक सब्सिडी के 2.2 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान
चालू वित्त वर्ष के दौरान उर्वरक सब्सिडी के 2.2 लाख करोड़ रुपये रहने की स्थिति बन रही है, जबकि आगामी वित्त वर्ष के दौरान इसमें 40-50 फीसद तक कमी आने संभावना है। खाद्य सब्सिडी बिल के भी अगले वर्ष दो लाख करोड़ रुपये के करीब रहने की संभावना है, जो चालू वित्त वर्ष के मुकाबले तकरीबन 50 हजार रुपये कम होगी।