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हाथ में त्रिशूल और डमरू... शिव के वेष में ताजमहल देखने पहुंचे 'आदिदेव', शर्त के साथ मिली एंट्री; बाहर आकर कही ये बात

Updated : Sun, 16 Mar 2025 07:07 PM

भगवान शिव के वेश में ताजमहल पहुंचे आदिदेव ने धार्मिक पहचान के साथ स्मारक में प्रवेश किया। त्रिशूल और डमरू बाहर रखने की शर्त पर उन्हें प्रवेश दिया गया। बाहर आकर उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति को न भूलने और दूसरों की संस्कृति को अपनाने से होने वाले पतन के बारे में बात की। ताजमहल के शिव मंदिर तेजोमहालय होने के सवाल पर कहा कि सनातनी झूठा दावा नहीं करते।

भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। शनिवार शाम भगवान शिव के वेष में 'आदिदेव' ताजमहल देखने पहुंचे। पहले तो भगवान शिव की वेशभूषा में उन्हें स्मारक में प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया। पहले तो उन्हें इंतजार कराया गया, लेकिन बाद में त्रिशूल व डमरू बाहर रखवाकर प्रवेश दे दिया गया। ताजमहल में शिव के वेश में घूमते पर्यटक को देखकर अन्य पर्यटक चकित नजर आए।

 

मध्य प्रदेश के नर्मदा घाट के आदिदेव शनिवार शाम 4:45 बजे भगवान शिव के वेष में पूर्वी गेट पर पहुंचे। उन्होंने हाथ में त्रिशूल और डमरू लिया हुआ और कमर पर श्रृंगी लटक रही थी। गेट पर तैनात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के कर्मचारियों और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों ने उन्हें गेट पर राेक दिया। उनसे कहा कि इस वेष में उन्हें स्मारक में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है।

काफी देर तक गेट पर बहस हुई। अधिकारियों तक मामला पहुंचने पर आदिदेव को त्रिशूल, डमरू व श्रृंगी बाहर रखकर जाने की स्थिति में स्मारक में प्रवेश की बात कही गई। बाद में उन्हें त्रिशूल व डमरू बाहर रखवाकर सीआइएसएफ जवान के साथ स्मारक में प्रवेश दिया गया। स्मारक भ्रमण के समय सीआइएसएफ जवान साथ रहा।

बाहर आकर क्या बोले 'आदिदेव'

ताजमहल देखने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आदिदेव ने कहा कि लोग अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं। दूसरों की संस्कृति को अपनाकर पतन की ओर जा रहे हैं। मुझसे पूछा गया कि ताजमहल में क्या काम है। मैंने कहा कि देश की धरोहर को देखना चाहते हैं कि वह वास्तव में क्या है?

 

ताजमहल के शिव मंदिर तेजोमहालय होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सनातनी कभी झूठा दावा नहीं करते हैं। संदेह वहीं होता है जहां सच होता है। कभी न कभी सत्य सामने आएगा, उसे छिपाया नहीं जा सकेगा।

 

ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि डमरू व त्रिशूल प्रतिबंधित होने से बाहर रखवाए गए थे। कपड़ों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है।