'बालिग होने पर साध्वी नहीं बनाया तो गंगा में कूदकर दे दूंगी जान', पूरे परिवार ने दी आत्महत्या की चेतावनी
Updated : Sat, 18 Jan 2025 12:07 PM

नौवीं में पढ़ने वाली किशोरी का कहना है कि जूना अखाड़े में शामिल नहीं होना बहुत कष्टकारी है लेकिन इससे मेरा मनोबल टूटने वाला नहीं है। अब साध्वी के वेश में ही रहूंगी। गुरुकुल में पढ़ाई करूंगी और सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार करूंगी। बालिग हो जाने पर बंदिश खत्म हो जाएगी तब संयम पथ की पताका फहराने से कोई नहीं रोक सकेगा।
लगभग 22 दिन प्रयागराज में प्रवास के बाद 13 वर्षीय किशोरी का परिवार गुरुवार की रात घर लौट आया। साध्वी बनने का सपना चकनाचूर होने से पूरा परिवार खिन्न है। नौवीं में पढ़ने वाली किशोरी का कहना है कि जूना अखाड़े में शामिल नहीं होना बहुत कष्टकारी है, लेकिन इससे मेरा मनोबल टूटने वाला नहीं है।
किशोरी ने कहा कि अब साध्वी के वेश में ही रहूंगी। गुरुकुल में पढ़ाई करूंगी और सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार करूंगी। बालिग हो जाने पर बंदिश खत्म हो जाएगी, तब संयम पथ की पताका फहराने से कोई नहीं रोक सकेगा। इस पर जूना अखाड़े ने सहमति दे दी है।
बालिग होने पर साध्वी नहीं बनाया तो दे दूंगी जान
किशोरी का कहना है कि बालिग होने पर साध्वी नहीं बनाया तो गंगा में कूदकर जान दे दूंगी। स्वजन ने गुरु को सम्मान न मिलने पर आत्महत्या की धमकी दी है। व्यवसायी दंपति 25 दिसंबर को अपनी दो बेटियों को प्रयागराज महाकुंभ में ले गए थे। वहां उन्होंने जूना अखाड़े में 13 वर्षीय बेटी का दान किया था।
जूना अखाड़े के संत कौशल गिरि ने शिविर प्रवेश कराते हुए नया नाम दिया था। उम्र को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद अखाड़ा प्रबंधन ने शिविर प्रवेश कराने वाले संत कौशल गिरि को निष्कासित कर दिया था और किशोरी को सम्मान के साथ घर लौटा दिया था। 22 दिन बाद किशोरी परिवार के साथ गुरुवार रात घर लौट आई।