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Ram Mandir Ayodhya: तीसरे दिन का अनुष्ठान हुआ पूरा, गर्भगृह में स्थापित हुए रामलला

Updated : Thu, 18 Jan 2024 05:00 PM

प्रतिमा को 21 जनवरी तक जीवनदायी तत्वों से सुवासित कराया जाएगा जिसका क्रम गुरुवार से प्रारंभ हो गया। गर्भगृह में भगवान चल के साथ अचल स्वरूप में भी विराजमान होंगे। दोनों प्रतिमाएं बुधवार को ही परिसर में पहुंच चुकी थीं। श्यामवर्णी अचल प्रतिमा दोपहर साढ़े 12 बजे गर्भगृह में स्थापना की गई। इसी के साथ दोनों ही प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का संस्कार आरंभ हो गया।

वेद मंत्रों के सस्वर उच्चारण के बीच भाव विभोर यजमान डा. अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्र तथा हर क्रिया के बाद गर्भगृह में उपस्थित लोगों का करबद्ध जय सियराम का उद्घोष। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के तीसरे दिन बुधवार को अपने गर्भगृह में विराज चुके रामलला के विग्रह का अधिवास भाव विभोर करने वाला रहा।

प्रतिमा को 21 जनवरी तक जीवनदायी तत्वों से सुवासित कराया जाएगा, जिसका क्रम गुरुवार से प्रारंभ हो गया। गर्भगृह में भगवान चल के साथ अचल स्वरूप में भी विराजमान होंगे। दोनों प्रतिमाएं बुधवार को ही परिसर में पहुंच चुकी थीं। श्यामवर्णी अचल प्रतिमा दोपहर साढ़े 12 बजे गर्भगृह में स्थापना की गई। इसी के साथ दोनों ही प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का संस्कार आरंभ हो गया।

करीब 20 प्रकार के पूजन के उपरांत गुरुवार को भगवान के अधिवास का क्रम आरंभ हुआ, जिसकी शुरुआत वेदमंत्रों के उच्चारण से मंगलमयी हुए वातावरण में यजमान डा. अनिल मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्र ने शुभ मुहूर्त दोपहर एक बज कर 20 मिनट पर संकल्प से की।

अधिवास से पहले आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ व आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में भगवान गणेश और माता अंबिका का पूजन हुआ। यह क्रम वरुण, मातृ पूजन, पुण्याहवाचन से आगे बढ़ा। आयुष्य मंत्र का जाप किया गया।

नंदी श्राद्ध, आचार्यादिऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मंडप प्रवेश, दिग्दर्शन संस्कार हुआ। मंडप वास्तु पूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्रवेष्टन, दुग्धधारा, जलधाराकरण, षोडष स्तंभ पूजन, तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपाल आदि पूजन किया गया। इसके उपरांत जलाधिवास हुआ। अधिवास के उपरांत भगवान पालकी में विराजमान हो भ्रमण पर निकले।