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आगरा के पहले पुलिस कमिश्नर, कौन हैं आईपीएस डॉ. प्रीत‍िंदर स‍िंह, ज‍िनके खि‍लाफ योगी सरकार ने की कार्रवाई

Updated : Wed, 10 Jan 2024 04:22 PM

खादी, खाकी और बिल्डर के गठजोड़ ने जमीन खाली कराने के लिए अत्याचार की हदें पार कर दीं और मुखिया मौन रहा। निर्दोषों के जमानत पर छूटने के बाद डीजीपी से शिकायत हुई। लखनऊ से जांच अधिकारी पहुंचे, लेकिन इसे भी गंभीरता से नहीं लिया गया। मामला लगातार बिगड़ता रहा। जांच पूरी होने पर लिया गया एक्शन हल्का था। मीडिया में मामला आने के बाद जब पुलिस के मुखिया जागे, तब तक काफी देर हो चुकी थी। डकैती के मुकदमा दर्ज होने तक अत्याचार के गुनहगार फरार हो गए। उन्हें पकड़ने में भी कोई तेजी नहीं दिखाई गई और गाज मुखिया पुलिस आयुक्त पर गिर गई।

जगदीशपुरा क्षेत्र में चार बीघा जमीन के केयरटेकर और उसके परिवार को अगस्त 2023 में तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार ने सत्ताधारी और बिल्डर के इशारे पर गांजा और शराब तस्करी के फर्जी मुकदमों में जेल भेजा था।

पहला मुकदमा दर्ज होने के बाद केयरटेकर की पत्नी ने अपर पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत की थी। मगर, इस मामले की जांच उस थाने के लिए ही भेज दी गई, जिस थाने के पुलिसकर्मियों पर आरोप थे। जांच कर रहे दारोगा इस प्रार्थना पत्र को दबाकर बैठा रहा, लेकिन जिम्मेवारों ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। 102 दिन जेल में रहने के बाद जब केयर टेकर जमानत पर रिहा हुआ। मामले की शिकायत डीजीपी आफिस में की गई। इसके बाद जांच शुरू हो गई। इस दौरान स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी हो गई होगी। इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।

मामला मीडिया तक पहुंचने के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित कर मामला टाल दिया। किरकिरी होने के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। तब तक आरोपित एसओ और बिल्डर फरार हो गए। माना जा रहा है कि कार्रवाई में चार माह का समय लगने पर लखनऊ से एक्शन लिया गया। इसके बाद पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह को हटाते हुए पुलिस मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है।