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PM Modi पर BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर भाजपा को मिला कांग्रेस नेता का साथ

Updated : Tue, 24 Jan 2023 12:52 PM

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी द्वारा बनाए गए डॉक्यूमेंट्री पर भाजपा को ऐसे जगहों से समर्थन मिल रहा है, जहां से उसे समर्थन मिलने की आशा नहीं थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री एके एंटोनी के बेटे अनिल एंटोनी ने कहा कि भारतीय संस्थानों पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचार देश की संप्रभुता को कमजोर करेंगे।

पीएम मोदी पर बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री

बता दें कि अनिल एंटोनी ने हाल ही में कांग्रेस की राज्य इकाई के डिजिटल संचार को संभाला है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राज्य कांग्रेस के विभिन्न विंगों ने घोषणा की है कि 2002 के गुजरात दंगों पर विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग राज्य में की जाएगी। मालूम हो कि बीबीसी ने उस समय की घटना पर विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री बनाई, जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

अनिल एंटोनी ने डॉक्यूमेंट्री पर भाजपा का किया समर्थन

अनिल एंटोनी ने ट्वीट किया, 'भाजपा के साथ गंभीर मतभेदों के बावजूद, जो लोग ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर और ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ के विचारों का समर्थन करते हैं और ताल्लुक रखते हैं, वे भारतीय संस्थानों पर खतरा को तरजीह दे रहे हैं।' जैक स्टॉ को इराक युद्ध के पीछे का मस्तिष्क माना जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे विचारों से हमारी संप्रभुता कमजोर होगी।

केरल में डॉक्यूमेंट्री दिखाने का कांग्रेस का ऐलान

वहीं, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अधिवक्ता शिहाबुद्दीन करयात ने कहा है कि देश में इस पर अघोषित प्रतिबंध के मद्देनजर गणतंत्र दिवस पर पार्टी के जिला मुख्यालयों में विवादित बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जाएगी।

क्या है बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री विवाद?

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह कई YouTube वीडियो और डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि दो पार्ट में बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, जो दावा करती है कि उसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की थी। हालांकि इसे विदेश मंत्रालय द्वारा प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इसमें निष्पक्षता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। वहीं, केंद्र सरकार के इस कदम को कांग्रेस और टीएमसी जैसे विपक्षी दलों से तीखी आलोचना मिली है।