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पैराशूट के उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता देख अचंभित होंगे देश, यह है एडीआरडीई की उपलब्धि

Updated : Tue, 17 Jan 2023 01:06 PM

आगरा आगमन पर जी-20 देश के सदस्यों के लिए ताजमहल तो अजूबा होगा ही, उन्हें पैराशूट की दुनिया में भारत की अचरज भरी आत्मनिर्भरता भी दिखाई जाएगी। विश्व में पहली बार वर्ष 1783 में पैराशूट का सार्वजनिक प्रदर्शन करने वाला फ्रांस भी भारतीय उत्पाद देख चौंक जाएगा। हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापना(एडीआरडीई) इसके लिए उत्पादों की विशेष प्रदर्शनी लगाएगा।

दस फरवरी को आगरा आ रहे हैं सदस्य देशों के प्रतिनिधि

जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। ये दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था मानी जाती हैं। भारत इस सत्र के लिए जी-20 का अध्यक्षता कर रहा है। इसी के तहत सदस्य देशों के प्रतिनिधि 10 फरवरी की शाम को आगरा आ रहे हैं। मेहमानों के स्वागत-सत्कार के लिए जोरदार तैयारी की जा रही हैं।

यहां से गुजरेगा प्रतिनिधिमंडल

प्रतिनिधिमंडल खेरिया एयरपोर्ट से ईदगाह बस स्टैंड, आगरा कैंट चौराहा से एडीआरडीई रोड से होकर गुजरेंगे। एडीआरडीई ने कई बेहतरीन पैराशूट उत्पाद तैयार किए हैं। आकाश और नक्षत्र जैसे एयरोस्टेट को भी विकसित किया है। मंडलायुक्त अमित गुप्ता के आदेश पर एडीआरडीई ने इन उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। 

ये है पैराशूट की शुरुआत

दुनिया में पहला व्यावहारिक रूप से सफल पैराशूट बनाने का श्रेय फ्रांसीसी नागरिक लुइ सेबास्तियन लेनोर्मां को जाता है। उन्होंने वर्ष 1783 में पैराशूट का पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। हालांकि पंद्रहवीं सदी के दौरान लिओनार्दो दा विंची ने सबसे पहले पैराशूट की कल्पना करते हुए रेखाचित्र भी तैयार किया था।