शरद यादव अलविदा: जबलपुर के मालवीय चौक से संसद तक रहे नायक, कर्मभूमि से कभी कम नहीं हुआ लगाव
Updated : Fri, 13 Jan 2023 12:33 PM

प्रख्यात समाजवादी नेता रहे डॉ. राम मनोहर लोहिया को शरद यादव अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। जेपी आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। सेठ गोविंद दास के निधन के बाद वर्ष 1974 में हुए जबलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए उन्होंने जेल में रहते हुए नामांकन दाखिल किया और जीते थे।
देश के जुझारू नेता और जनता दल युनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का निधन जबलपुर के लिए बड़ी क्षति है। छात्र नेता के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई थी। वे पहली बार जबलपुर से ही सांसद निर्वाचित हुए थे। जबलपुर के मालवीय चौक से छात्र राजनीति का आगाज करने वाले यादव ने देश की संसद तक परचम फहराया। वे हमेशा पक्ष तथा विपक्ष दोनों के चहेत रहे। देश की सियासत में उनकी गिनती तेजतर्रार जननेताओं में थी।
छात्र आंदोलन में जबलपुर में उनके सहयोगी रहे तिलक यादव ने बताया कि शरद यादव मूल रूप से होशंगाबाद के आखमऊ गांव के निवासी थे। उन्होंने जबलपुर स्थित साइंस कॉलेज से बीएससी तथा इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्टॉनिक इंजीनियर की डिग्री हासिल की थी। इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने छात्र राजनीति प्रारंभ की। जबलपुर के के सभी कॉलेजों के छात्रों को उन्होंने एकजुट किया था। तिलक यादव ने बताया कि शरद यादव छात्रों के सर्वमान्य नेता बन गए थे और शहर का मालवीय चौक उनका ठिकाना होता था।
प्रख्यात समाजवादी नेता रहे डॉ. राम मनोहर लोहिया को शरद यादव अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। जेपी आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। सेठ गोविंद दास की मौत के बाद वर्ष 1974 में हुए जबलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए उन्होंने जेल में रहते हुए नामांकन दाखिल किया था। मतदान के पूर्व उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था और चुनाव चिन्ह हलधर किसान था। उन्हें संपूर्ण विपक्ष ने समर्थन दिया था।
'लल्लू को न जगधर को मोहर लगेगी हलधर को'
इस चुनाव में उन्होंने सेठ गोविंद दास के पुत्र रवि मोहन को पराजित किया था। शरद यादव मात्र 26 साल की उम्र में सांसद निर्वाचित हुए थे।इस दौरान उनका नारा था 'लल्लू को न जगधर को मोहर लगेगी हलधर को।' यादव के खिलाफ दो बार मीसा की कार्यवाही हुई और वे 7 और 11 महीने जेल में रहे।