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अदालत के साथ ‘अपनों’ की दी हुई सजा भुगत रहे कारागार में बंद 600 कैदी

Updated : Wed, 04 Jan 2023 12:41 AM

अपराध का दंड तो सलाखों के पीछे आकर भुगत ही रहे हैं मगर सैकड़ों बंदी एक और सजा भुगत रहे हैं। ये सजा दी है अपनों की उपेक्षा ने। केंद्रीय कारागार और जिला जेल में ऐसे 600 बंदी चिह्नित किए गए हैं, जिनसे मिलने के लिए वर्षों से कोई अपना नहीं आया है।

केंद्रीय कारागार में इस समय 2200 से अधिक कैदी हैं, जो सजायाफ्ता हैं। इनमें 400 से अधिक बंदी ऐसे हैं, जिनसे करीब दो वर्ष से कोई मुलाकात करने नहीं आया है। जिला जेल में भी करीब 200 बंदी ऐसे हैं, जिनसे एक वर्ष से अधिक समय से कोई अपना मिलने नहीं आया है। ऐसे में जब साथी बंदियों के स्वजन उनसे मिलने आते हैं तो उन्हें भी परिवार के लोगों की याद आती है। वे तनाव के शिकार हो जाते हैं। वर्ष 2022 में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जिला जेल प्रशासन से ऐसे बंदियों की जानकारी मांगी थी, जिनकी मुलाकात नहीं आती।

समस्या

- मुलाकात न आने के कारण बंदियों की रोजमर्रा की जरूरतें जैसे कपड़े, साबुन, तेल आदि की दिक्कत होती है।

- रुपये न होने पर वे कैंटीन से जरूरत का सामान नहीं खरीद पाते।

- खुद को भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करते हैं।

- साथियों से अलग-थलग होने लगते हैं, ये उनके अवसाद का कारण बनता है।