लौकिक संपति से कई गुणा कीमती है मनुस्य भव
Updated : Sat, 26 Nov 2022 12:06 PM

संस, लुधियाना: वर्तमान गच्छाधिपति श्रृतभास्कर जैनाचार्य विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर महाराज सा. के शुभाआशीर्वाद व प्रवर्तिनी साध्वी अभय महाराज सा. की सुशिष्या साध्वी कल्पज्ञा म. सा. ठाणा-6 के सानिध्य में श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर प्रांगण में चातुर्मासिक सभा का आयोजन जारी है।
इस अवसर पर प्रवचन में साध्वीमहाराज ने सुव्रत सेठ के ²ष्टांत के द्वारा भाव करुणा का बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया कि आचरण हीन ओर अबोध जीवों के प्रति भी करुणा रखना। चौथी भावना है माध्यस्थ भावना: अर्थात जब कोई परिस्थिति हमारे नियंत्रण में न हो।
तब उपेक्षा भाव रखना राग ओर द्वेष का त्याग करके सम भाव रखना।उन्होंने कहा कि धर्म कथानुयोग में ममया सुंदरी चरित्र के अंतर्गत महाराज ने बताया कि पूरे जीवन की संपति से कई गुणा कीमती है मानव भव। इसकी महत्ता समझने के लिए जीव को स्वयं का अवलोकन करना होगा।
श्रवक के 12 व्रतों के अंतर्गत तीसरे स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत के बारे में बताया कि कोई भी वस्तु मालिक की आज्ञा के बिना उपयोग नहीं करनी चाहिए। श्रावक धर्म की महत्ता को समझ कर अपने जीवन में आचरण करने का प्रयास करें।
मंच संचालन की रस्म सिकदर लाल एडवोकेट ने धर्म की व्याख्या कर बाखूवी निभाई।