व्यक्ति जिस प्रकार कर्म करता है, उसी अनुरूप मृत्यु होती है
Updated : Mon, 21 Nov 2022 04:52 PM

श्री राधा कृष्ण ठाकुरबाड़ी झिटिकियाटाड़ भूना में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। वाराणसी से पधारे कथावाचक आचार्य डा दिनकर जी महाराज ने कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है, तब तक वह बाहर निकलने के लिए छटपटाता रहता है। उस समय वह जीव बाहर निकलने के लिए ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे करता है। मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर वह भगवान से किए गए वादों को भूल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उसे चौरासी लाख योनी भोगनी पड़ती है। व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है, उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म व ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें बैकुंठ लोक प्राप्त हुआ।
नगर के ऐतिहासिक धार्मिक धरोहर मुरली मनोहर ठाकुरबाड़ी में भजन संध्या का आयोजन किया गया। श्याम संगीत विद्यालय के प्राचार्य पंडित सियाराम पाठक के संयोजन व अरुण पाठक के निर्देशन में आयोजित भजन संध्या कार्यक्रम की शुरुआत देविका रानी पाठक ने छोटे छोटे गैया, छोटे-छोटे ग्वाल भजन से हुआ। राग कल्याण में परी ङ्क्षसह ने भजन की प्रस्तुति दी। अंशिका कुमारी और कुमार संभव ने अपनी सुरमयी आवाज में कृष्ण भजन की प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरी। खुशी पाठक और हेमा पाठक ने कृष्ण जन्म की बधाई गीत से कार्यक्रम में समा बांध दिया। दीपिका पाठक ने राग यमन में कृष्ण भजन पेश किए।