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करोड़ों कमाने वाले ताजमहल की मस्जिद के इमाम की 15 रुपए है पगार, वो भी 5 साल से नहीं मिली

Updated : Tue, 08 Nov 2022 08:23 AM

संगमरमर से तराशी गई मुहब्बत की निशानी ताजमहल कमाई के मामले में देश में नंबर वन तो दुनिया में भी टॉप-5 में जगह बनाए रहता है। फिर भी हर साल करीब सौ करोड़ कमाने वाले ताजमहल की मस्जिद के इमाम को देने के लिए एएसआई के पास पगार तक नहीं। आलम ये है कि एएसीआई ने 2017 से 15 रुपये प्रतिमाह (50 पैसे रोज) भी देना बंद कर दिया। इमाम और उनके बेटे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय के चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं। वहीं एएसआई ने सूचना का अधिकार के तहत दी जानकारी में इमाम की कोई भी पगार बकाया होने से इंकार कर दिया है।

ताज के बराबर में बनी खूबसूरत शाही मस्जिद में नमाज अदा कराने के लिए मुगल दौर से एक ही खानदान का आदमी पीढ़ी दर पीढ़ी इमामत करता आ रहा है। नमाज अदा कराने के लिए बादशाह के दौर से ही बतौर हदिया (वेतन) मिलता था। मुगल 15 सोने की अशर्फियां देते थे, अंग्रेज आए तो 15 चांदी के सिक्के और आजाद भारत में उन्हें 15 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता रहा। 

अब आठवीं पीढ़ी पढ़ा रही नमाज
ताजमहल के इमाम सैयद सादिक अली कहते हैं कि हमारी आठवीं पीढ़ी नमाज अदा करा रही है। अंग्रेज शासन और उसके बाद तक तो ठीक था, लेकिन उसके बाद तो हमें 15 रुपये तनख्वाह दी जा रही है जो आज के दौर में कुछ भी नहीं। महीने में 15 रुपये देते हैं, लेकिन आज तो इतने में एक किलो आगू भी नहीं आता तो पूरे महीने का खर्च कैसे चलाएंगे। इमाम का कहना है कि एक महीने की तनख्वाह 15 रुपये है और इसे लेने के लिए 100 रुपये का तो पेट्रोल जल जाता है।