होली पर बन रहे कई संयोग, होलाष्टक संग खरमास से लगेगी मांगलिक कार्यों पर रोक; पढ़ें कब खेली जाएगी Holi
Updated : Thu, 06 Mar 2025 06:06 PM

इस वर्ष होली के त्योहार कई संयोग बन रहे हैं। सात मार्च से जहां होलाष्टक लगने जा रही है। वहीं 14 मार्च से खरमास भी लगने जा रहा है। इतना ही नहीं इसी दिन वर्ष का पहले चंद्रग्रहण भी पड़ेगा, हालांकि भारत में यह दिखाई नहीं देगा। फिर भी इन तीनों योग की नकारात्मक ऊर्जा से भरी इस अवधि में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होली का त्योहार मनाया जाता है। होलिका दहन से ठीक आठ दिन पूर्व होलाष्टक लगते हैं। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को होगा और रंगों से होगी 14 मार्च को खेली जाएगी। इस स्थिति में सात मार्च यानि शुक्रवार से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे।
वहीं इसी माह में पंचांग के अनुसार सूर्य देव 14 मार्च को शाम छह बजकर 59 मिटन पर मीन राशि में गोचर करेंगे, सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास प्रारंभ हो जाएगा। होलाष्टक और खरमास को नकारात्मक ऊर्जाओं से भरी हुई इस अवधि माना जाता है, इसलिए इस अवधि में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि खरमास का शाब्दिक अर्थ है कि अशुभ मास या महीना। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव जब भी देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तो उस समय खरमास लगता है। यह मास पूरे एक महीने चलता है। एक साल में दो बार खरमास लगता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, पहला खरमास मार्च से अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास दिसंबर से जनवरी के बीच लगता है।
खरमास के समय में कोई भी शुभ कार्य नही होते क्योंकि इस दौरान सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं सूर्य देव जब मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे, तो सूर्य की मेष संक्रांति होगी। पंचांग के अनुसार 14 अप्रैल को सूर्य देव मेष राशि में सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर गोचर करेंगे, तो उस समय खरमास संपन्न होगा।
होली पर इस वर्ष का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। चंद्रग्रहण सुबह नौ बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर तीन बजकर 29 मिनट तक चलेगा। भारत में इस दौरान दिन होगा इसलिए यहां लोग इस खगोलीय दृश्य का अनुभव नहीं कर पाएंगे। लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका में दिखाई देगी। चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा, जिसे ब्लड मून कहते हैं।