फ्री देखनी है शाहजहां-मुमताज की असली कब्रें तो इस टाइम आइए ताजमहल, तीन दिन नहीं लगेगी टिकट
Updated : Sat, 25 Jan 2025 10:48 PM

मुगल शहंशाह शाहजहां का 370वां उर्स ताजमहल में रविवार से मनाया जाएगा। इस तीन दिवसीय उर्स में पर्यटकों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा। उर्स में आकर्षण का केंद्र 1640 मीटर लंबी सतरंगी हिंदुस्तानी चादर रहेगी। मुख्य आकर्षण तहखाना में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्रें रहेंगी। यह कब्रें वर्ष में केवल एक बार उर्स में ही खोली जाती हैं।
शहंशाह शाहजहां का 370वां उर्स ताजमहल में रविवार से मनाया जाएगा। तीन दिवसीय उर्स में पर्यटकों को निश्शुल्क प्रवेश मिलेगा। उर्स में आकर्षण का केंद्र 1640 मीटर लंबी सतरंगी हिंदुस्तानी चादर रहेगी।
मुख्य आकर्षण तहखाना में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रें रहेंगी। यह कब्रें वर्ष में केवल एक बार उर्स में ही खोली जाती हैं। उर्स में स्मारक में सुरक्षा व्यवस्था सख्त रहेगी। इसके लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) ने जवानों की संख्या व ड्यूटी प्वाइंट्स बढ़ाए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने भी व्यवस्थाएं संभालने को अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए हैं।
हर वर्ष इन तारीखों को मनता है उर्स, इस समय होगी एंट्री फ्री
- शाहजहां का उर्स ताजमहल में हिजरी कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख को मनाया जाता है।
- इस बार उर्स 26 से 28 जनवरी तक मनाया जाएगा।
- उर्स के पहले दिन गुस्ल, दूसरे दिन संदल और तीसरे दिन चादरपोशी की रस्म होगी।
- 26 व 27 जनवरी को दोपहर दो बजे से और 28 जनवरी को सुबह से शाम ढलने तक पर्यटकों को निश्शुल्क प्रवेश मिलेगा।
- भारतीयों के साथ ही विदेशी पर्यटकों पर भी टिकट लागू नहीं होगा। टिकट विंडो बंद रहेंगी।
- उर्स में ही पर्यटकों को तहखाना में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों को देखने का अवसर मिलता है।
ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि ताजमहल में उर्स में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। परंपरागत रूप से ही उर्स मनेगा। किसी तरह की नई परंपरा की शुरुआत नहीं होने दी जाएगी।
उर्स में यह होती हैं रस्में
- पहला दिन: उर्स के पहले दिन गुस्ल की रस्म होगी। फातिहा पढ़ा जाएगा और दुआ होगी।
- दूसरा दिन: उर्स के दूसरे दिन संदल की रस्म होगी। कव्वाली व मुशायरा होगा।
- तीसरा दिन: उर्स के तीसरे दिन कुरानख्वानी होगाी। फातिहा पढ़ा जाएगा। चादरपोशी होगी और लंगर बंटेगा।
हर वर्ष बढ़ जाती है चादर की लंबाई
खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर से उर्स में तीसरे दिन सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक सतरंगी हिंदू चादर चढ़ाई जाती है। हनुमान मंदिर से धर्मगुरुओं की मौजूदगी में ढोल के साथ यह चादर ताजमहल तक ले जाई जाती है। इसकी लंबाई हर वर्ष बढ़ जाती है। कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि इस बार 1640 मीटर लंबी चादर चढ़ाई जाएगी। पिछले वर्ष शाहजहां के 369वें उर्स में 1560 मीटर लंबी चादर चढ़ाई गई थी।