पिंडदान से पहले सन्यास हुआ अस्वीकार...कौशल गिरि 7 साल के लिए निष्कासित, घर नहीं लौटे मां-बाप, स्वजन का बोलने से इनकार
Updated : Mon, 13 Jan 2025 08:29 AM

महाकुंभ में 13 वर्षीय बेटी के दान को जूना अखाड़े ने अस्वीकार कर दिया। कौशल गिरि को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। लड़की को उसके माता-पिता के साथ घर भेज दिया गया है। इस घटना से ग्रामीण सन्न रह गए हैं और बेटी को दान करना सही है या गलत इस पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अभी तक पिता-पुत्री घर नहीं लौटे हैं।
महाकुंभ में 13 वर्षीय बेटी का दान खारिज होने की खबर मिलने के बाद ग्रामीण सन्न रह गए हैं। बेटी को जूना अखाड़े की साध्वी बनाए जाने को लेकर तीन दिन से चर्चाएं चल रही थीं। शुक्रवार को जूना अखाड़े ने इसे नियम विरुद्ध मानते हुए कौशल गिरि को सात वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया था।
लड़की को अस्वीकार करते हुए सम्मान के साथ उसके माता-पिता के साथ घर भेज दिया। हालांकि, पिता-पुत्री प्रयागराज से घर नहीं पहुंचे हैं। उनके परिवार वालों ने इसको लेकर किसी भी तरह की बात करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि व्यवसायी ने छह जनवरी को प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़े के कैंप में अपनी 13 वर्षीय बेटी का दान कर दिया था। अखाड़े के संत कौशल गिरि ने किशोरी को शिविर में प्रवेश कराया और उसका नामकरण किया।
19 जनवरी को उसका पिंडदान करवाकर विधिवत संन्यास देने की तैयारी थी। उसके पहले 10 जनवरी को जूना अखाड़ा की आमसभा में बेटी के दान को खारिज करते हुए महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। इसके साथ ही पुत्री को पिता को सौंपते हुए घर भेज दिया गया।