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Agra News: रहें सावधान! उत्तर भारत में एच1एन1 स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा, वायरस की तरह आने वाली है फंगल संक्रमण की लहर

Updated : Sat, 10 Feb 2024 04:56 PM

Indian Association of Medical Microbiologists डा. बीएम कटोच ने कहा कि केंद्र सरकार के 2024 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की योजना के नतीजे 2025 में पता चले पाएंगे। एसएन मेडिकल कालेज में छह कार्यशाला आयोजित की गई। मेडिकल छात्र और डाक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया। एसजीपीजीआइ के डा. टीएन ढोल को मरणोपरान्त सम्मानित किया गया। सोविनियर का भी विमोचन किया गया जिसमें 300 रिसर्च पेपर पब्लिश किए गए।

सर्दी-जुकाम वाले फ्लू वायरस की तरह से फंगल संक्रमण की लहर आने वाली है। स्टेरायड के इस्तेमाल, मेडिकल स्टोर से दवा लेकर इलाज और अत्याधिक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती रह रहे मरीजों में भी फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है।

शुक्रवार से एसएन मेडिकल कालेज के सहयोग से शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुई इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजिस्ट सफदरजंग हास्पिटल, दिल्ली की माइक्रोबायोलाजी विभाग की अध्यक्ष प्रो. मालिनी कपूर ने बताया कि 10 वर्षों में फंगल इन्फेक्शन कई गुणा बढ़ा है।

कोरोना के बाद म्यूकोर्मिकोसिस ब्लैक फंगस बढ़ गया था। इसके बाद एस्परजिलोसिस का संक्रमण फैलने लगा, इसमें तेज बुखार के साथ फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने पर खांसी में खून आने लगता है। इसी तरह से त्वचा पर फंगल संक्रमण बढ़ रहे हैं। रोकथाम के लिए जागरूक करने के साथ की अस्पतालों में ट्रीटमेंट गाइड लाइन का इस्तेमाल किया जाए।

बीमारियों से मृत्यु में 48 फीसद का कारण सूक्ष्मजीवों का संक्रमण

विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर में इंडियन एसोसिएशन आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजिस्ट की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पूर्व डीजी डा. बीएम कटोच ने कहा कि बीमारियों से हो रही मौतों की रोकथाम के लिए सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। भारत में बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 48 फीसदी कारण सूक्ष्म जीवों से होने वाला संक्रमण है।

डा. बीएम कटोच ने कहा कि माइक्रोबयोलाजिस्ट की काफी कमी है, जिसे दूर किया जाना चाहिए। देश की कुल जनसंख्या की 18 फीसदी आबादी उप्र में है। इसलिए उप्र में इन्फेक्शन से होने वाली बीमारियों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

इन फंगस से फैल रहा संक्रमण

  1. म्यूकोर्मिकोसिस
  2. एस्परजिलोसिस
  3. कैंडिडिआसिस 
  4. र्मेटोफाइटोसिस
  5. क्रिप्टोकाकोसिस

डा. बीएम अग्रवाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड एसएन मेडिकल कालेज माइक्रोब्रायोलजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. बीएम अग्रवाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 

स्वाइन फ्लू का स्ट्रेन बदल रहा

एसजीपीजीआइ, लखनऊ असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल गर्ग ने बताया कि हर वर्ष वायरल संक्रमण को लेकर एडवाइजरी जारी की जाती है। इस बार फरवरी से लेकर मार्च तक और सितंबर से लेकर अक्टूबर तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैल सकता है। लखनऊ में छह केस मिल चुके हैं, लेकिन यह घातक नहीं है।

अतुल गर्ग ने बताया कि हर वार स्वाइन फ्लू का स्ट्रेन बदल रहा है। 2022 में एच3एन2 का संक्रमण फैला था। इस बार वायरस में बदलाव हुआ है और 2009 में फैले एच1एन1 से स्वाइन फ्लू फैलने की आशंका है। इसे लेकर स्वाइन फ्लू की वैक्सीन में भी बदलाव किया गया है। इसके इलाज में टेमी फ्लू के लक्षण अधिक हैं। यह भी कोरोना की तरह से ही मुंह और नाक से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों के संपर्क में आने से फैलता है। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, इसमें मोटापा, मधुमेह, कैंसर, एचआइवी के मरीज शामिल हैं, उन्हें परेशानी हो सकती है।