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Padma Shri 2024: डा. आरएस पारीक को मिला पद्मश्री, होम्योपैथी को दिलाई अलग पहचान; 70 साल से कर रहे इलाज

Updated : Fri, 26 Jan 2024 04:28 PM

Padma Shri 2024 दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले 91 वर्ष के डा. राधे श्याम पारीक (डा. आरएस पारीक) को पद्मश्री से नवाजा गया। वह 70 वर्ष से होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मूलरूप से राजस्थान के नवलगढ़ के रहने वाले डा. आरएस पारीक ने 21 वर्ष में बेलनगंज में एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया।

दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले 91 वर्ष के डा. राधे श्याम पारीक (डा. आरएस पारीक) को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया।

रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन करने के बाद कैंसर सहित अन्य बीमारियों में होम्योपैथि से इलाज पर शोध किया। इंग्लैंड, अमेरिका, रूस सहित कई देशों के डॉक्टरों को होम्योपैथी में सर्टिफिकेट कोर्स कराना शुरू किया।

70 वर्ष से होम्योपैथी पद्धति से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मूलरूप से राजस्थान के नवलगढ़ के रहने वाले डा. आरएस पारीक ने 21 वर्ष में बेलनगंज में एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया। उस समय होम्योपैथी को लोग जानते नहीं थे, चर्म रोग सहित कई बीमारियों में एलोपैथी कारगर साबित नहीं हुई तो मरीजों ने उनसे इलाज कराया।

1956 में उन्होंने रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से ग्रेजुएशन करने के बाद पारीक होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर स्थापित किया। तब वो पानी के जहाज से इंग्लैंड गए थे, जो उस समय यह बड़ी बात हुआ करती थी। देश-विदेश के मरीजों का इलाज शुरू किया।

उनके सेंटर पर मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण कैंसर, चर्म रोग सहित गंभीर और सामान्य बीमारियों पर शोध करना शुरू किया। केस स्टडी को विदेशों में होने वाली कार्यशालाओं में प्रस्तुति किया। इससे दुनिया भर में भारतीय होम्योपैथी पद्धति को अलग पहचान मिली और विदेश से डॉक्टर प्रशिक्षण लेने के लिए उनके सेंटर पर आने लगे।

देशभर से मरीज भी उनसे इलाज कराने के लिए आते हैं। उनकी पत्नी गीता रानी पारीक उनका पूरा साथ देती हैं। उनके बेटे डा. आलोक पारीक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं और यश भारती से सम्मानित हो चुके हैं। इंटरनेशनल होम्योपैथी संघ के पहले भारतीय अध्यक्ष बने। डा. राजू पारीक सर्जन हैं और उनके पौत्र डा. प्रशांत पारीक सर्जन और डा. आदित्य पारीक भी होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता रवि अरोरा बताते हैं कि डा. आरएस पारीक समाजसेवा से जुड़े हुए हैं। गोवर्धन और राधाकुंड में सन्यासी माताओं को हर महीने निश्शुल्क परामर्श देते हैं, गो सेवा भी करते हैं।