22 जनवरी से सतयुग की शुरुआत…, स्वामी अधोक्षजानंद ने प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने वालों को लपेटा, नसीहत में कह दी बड़ी बात
Updated : Thu, 18 Jan 2024 04:32 AM

गोवर्धन मठ के स्वामी अधोक्षजानंद तीर्थदेव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में धर्म गुरुओं के विरोध की बातों का खंडन किया है। उनका कहना है कि जो लोग भ्रामक अफवाह फैला रहे हैं समय आने पर उन्हें जवाब दिया जाएगा। 22 जनवरी का दिन सतयुग की शुरुआत जैसा होगा। पूरा देश इसे महापर्व की तरह मनाएगा।
गोवर्धन मठ के स्वामी अधोक्षजानंद तीर्थदेव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में धर्म गुरुओं के विरोध की बातों का खंडन किया है। उनका कहना है कि जो लोग भ्रामक अफवाह फैला रहे हैं, समय आने पर उन्हें जवाब दिया जाएगा। 22 जनवरी का दिन सतयुग की शुरुआत जैसा होगा। पूरा देश इसे महापर्व की तरह मनाएगा।
स्वामी अधोक्षजानंद तीर्थ देव संस्कृति और धर्म का प्रसार कर 18 देशों को अखंड भारत से वापस जोड़ने के उद्देश्य से अखंड भारत यात्रा पर निकले हैं। अरुणाचल से प्रयागराज एक माह के प्रवास पर जाने के दौरान उनका आगरा आगमन हुआ था। यहां एक भक्त के प्रतिष्ठान पर उन्होंने अल्पाहार लिया।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं के द्वारा राम मंदिर का आमंत्रण न स्वीकारने जैसी बातें सिर्फ अफवाह हैं। श्रृंगेरी मठ, द्वारिका मठ और गोवर्धन मठ द्वारा पत्र जारी कर इसका खंडन किया गया है।
राम मंदिर के निमंत्रण की चर्चा नहीं होनी चाहिए। राम खुद धर्म हैं और उनके मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से कोई भला कैसे मना कर सकता है। सभी समय के अनुसार 22 जनवरी या उसके बाद रामलला के दर्शन करने जाएंगे।
उनका कहना है कि धर्म गुरुओं का काम धर्म और संस्कृति का प्रसार करना है। वो भी यही कर रहे हैं। इसके लिए 19 नवंबर 2019 से अखंड भारत यात्रा पर निकले हैं। भारत के सभी राज्य 52 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर रहे हैं। नेपाल, भूटान, कंबोडिया, बांग्लादेश समेत कई देश घूम आए हैं।
उनका मानना है की एक ज्योतिर्लिंग पाकिस्तान में है और राजनीति करने वाले आर्य उसे जल्द अखंड भारत में समाहित कर लेंगे। कुछ धर्म गुरुओं द्वारा राम मंदिर के मुहूर्त और निमंत्रण न स्वीकारने जैसी बातें बोलने के मामले पर उन्होंने ऐसे लोगों को धर्म विरोधी बताया है और राजनीति से दूर रहने की बात कही है।
स्वामी अधोक्षजानंद का कहना है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त त्रेता युग में प्रभु श्री राम के जन्म के जैसा शुभ है। मंदिर का निर्माण अभी काफी समय तक चलेगा पर गर्भगृह तैयार होने के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरह तर्कसंगत है।