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कैप्टन शुभम गुप्ता का बलिदान; साथियों ने बताई मुठभेड़ की कहानी, कैप्टन प्रांजल को बचाने गए थे पैरा कमांडो, आखिरी सांस तक लिया मोर्चा

Updated : Sat, 25 Nov 2023 03:13 AM

वह यारों का यार था। उसे किसी से डर नहीं लगता था। 20 नवंबर की शाम को या फिर 21 नवंबर की दोपहर। शुभम ने एक ही बात कही थी। आज भी यह बात कानों में गूंजती हैं। याद रखना दोस्तों। एक दिन आएगा जब अपने दोस्तों और देश के लिए जान दे दूंगा। कुछ भी हो जाए, कदम पीछे नहीं हटेंगे।

आखिरी सांस तक मेरे रहते तुम लोगों को कोई छू भी नहीं सकेगा। कैप्टन प्रांजल को बचाने के लिए शुभम अपनी जान पर खेल गया। यह शब्द हैं 9 पैरा के शुभम के साथियों के। आखिरी वक्त में भी शुभम का साथ दे रहे थे। दोस्ती और देश के लिए जान देने वाले शुभम पर नाज था।

9 पैरा के एक सदस्य ने बताया 

9 पैरा, विशेष बल एक सदस्य ने बताया कि शुभम गुप्ता अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकता था। अगर कोई दोस्त उदास होता तो शुभम उससे बात करता। उदासी का कारण पूछता और फिर जो भी बन पड़ता, उसके लिए वह कार्य कर देता था। शुभम की यही अदा हर किसी को पसंद थी। वह भले ही कैप्टन था लेकिन उसका व्यवहार इतना शालीन था कि हर जवान सुख-दुख की बातें करता था।

ऑपरेशन की बात

शुभम के साथी ने बताया कि बुधवार सुबह नौ बजे से गुलाबगढ़ के जंगल, राजौरी में आपरेशन शुरू हुआ था। कैप्टन प्रांजल एक टीम के साथ घर में घुस गए। उस घर के निचले हिस्से में आतंकी छुपे हुए थे। आतंकियों ने अधाधुंध फायरिंग की। इससे कैप्टन बलिदान हो गए। जैसे ही इसकी जानकारी शुभम को हुई। उनसे रहा नहीं गया। शुभम अपने दोस्त की हर तरीके से मदद करना चाहते थे।