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यूपी क्षेत्र में खनन को लेकर बढ़ा सीमा विवाद, MP जिला प्रशासन ने खनन क्षेत्र पर जताया दावा

Updated : Sun, 04 Jun 2023 01:36 PM

उत्तर प्रदेश सीमा के पास रिहंद जलाशय की भूमि पर खनन को लेकर विवाद गहरा गया है। भूमि पर सिंगरौली जनपद का खनन विभाग कई वर्षों से निविदा निकालकर खनन का ठेका दे रहा है। जलाशय के अधिकारियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते भूमि को उत्तर प्रदेश का बताकर इसको तत्काल रोकने की मांग की है।

गोविन्द वल्लभ पंत सागर (रिहंद जलाशय) का निर्माण सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश ने कराया था। इसका शिलान्यास वर्ष 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया था। वर्ष 1963 में बनकर तैयार हुआ। रिहंद जलाशय प्रशासन का दावा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए मध्य प्रदेश की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। जलाशय का विस्तार मध्य प्रदेश के तत्कालीन जिला सीधी, वर्तमान में सिंगरौली तक हुआ।

खनन विभाग सिंगरौली की ओर से पिछले लगभग 10 वर्षों से जलाशय के समीप रेत का निविदा निकालने के बाद ठेका देकर रिहंद जलाशय की रिक्त भूमि ग्राम हर्रहवा, हिरवाह, पिपराकुरून्द, कादोपानी, ओरंगाई आदि गांवों में बालू खनन कराकर परमिट निर्गतकर उत्तर प्रदेश सरकार की करोड़ों की राजस्व क्षति पहुंचा रहा है। सिंगरौली के खनन अधिकारी एके राय ने कहा कि रिहंद जलाशय की भूमि पर बालू खनन करने का उनका अधिकार है।

जलाशय प्रशासन की ओर से किया जा रहा पत्राचार

रिहंद जलाशय के उपखंडीय अधिकारी तृतीय आनंद श्रीवास्तव ने सिंगरौली के खनन अधिकारी के बयान काे पूरी तरह से गलत बताया। कहा कि उन्होंने इसपर रोक लगाने के लिए उच्चाधिकारियों के साथ पत्राचार किया जा रहा है। जल्द ही इसको लेकर कड़े कदम भी उठाएं जाएंगे।