• Home
  • Wed, 12-Mar-2025

Breaking News


नया संसद भवन आधुनिकता और सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ संगम, हर प्रांत की विशिष्ट वस्तुओं का हुआ है इस्तेमाल

Updated : Mon, 29 May 2023 04:35 AM

देश की प्राचीन संस्कृति के साथ मौजूद वक्त की जरूरतों के हिसाब से बना नया संसद भवन आधुनिकता और सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ संगम है। नया संसद भवन एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाता है।

इस नए भवन के लिए प्रयुक्त सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से मंगवाई गई है। नए संसद भवन के निर्माण में देश के करीब-करीब हर प्रांत की विशिष्ट वस्तुओं का उपयोग किया गया है। एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया।

नए संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगवाई गई जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से मंगवाया गया था। लाल किला और हुमायूं के मकबरे में भी इस बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ था। केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा से और सफेद संगमरमर राजस्थान के अंबाजी से मंगवाया गया है।

लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में फाल्स सीलिंग के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है जबकि नए भवन का फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत पर लगी पत्थर की जाली का काम राजस्थान के राजनगर और नोएडा से मंगवाया गया था। अशोक प्रतीक के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और जयपुर से मंगवाई गई थी।

लोकसभा और राज्यसभा कक्षों की विशाल दीवारों पर अशोक चक्र और संसद भवन के बाहरी हिस्से में लगी सामग्री को इंदौर से लाया गया था। नई संसद भवन के निर्माण में काम आने वाली रेती-रोड़ी (एम-सैंड) हरियाणा के चरखी दादरी से मंगवाई गई थी।

एम-सैंड को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि इसका निर्माण बड़े कठोर पत्थरों यानी ग्रेनाइट को पीसकर किया जाता है। वैसे निर्माण में काम आने वाला रेत आमतौर पर नदी से निकाला जाता है। निर्माण में उपयोग की जाने वाली फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं जबकि पीतल के काम के लिए अहमदाबाद से सेवाएं ली गईं।