स्ट्रेचर पर मां को कराया ताज का दीदार, 1100 किमी का सफ़र तय कर आगरा पहुंचा कलयुग का 'श्रवण कुमार'
Updated : Tue, 21 Mar 2023 05:51 PM

त्रेता युग में श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराई थी। कलियुग में गुजरात के कच्छ के मुंद्रा निवासी मोहम्मद इब्राहिम युसूफ अली श्रवण कुमार बन गए। अपनी 85 वर्षीय मां रजिया की इच्छा पूरा कराने को उन्हें स्ट्रेचर पर लेकर आगरा पहुंचे।
दरगाह शहीद-ए-सालिस पर जियारत के बाद मां ने सोमवार को ताजमहल देखने की इच्छा जताई। स्ट्रेचर की अनुमति नहीं होने से ताजमहल में प्रवेश में कुछ दिक्कतें जरूर आईं, लेकिन बाद में अधिकारियों ने भी उनकी इच्छा का मान रखा।
32 वर्षों से वह बेड पर हैं
मोहम्मद इब्राहिम ने बताया कि वह ट्रेन से आगरा आए थे। उनकी मां रजिया का रीढ़ की हड्डी का आपरेशन मुंबई में हुआ था। यह सफल नहीं रहा। इससे उनकी मां चल नहीं पाती हैं। 32 वर्षों से वह बेड पर हैं। उन्होंने अपनी मां की सुविधा को व्हीलचेयर में थोड़े परिवर्तन कर उसे स्ट्रेचर का स्वरूप दिया हुआ है।
दरगाह शहीद-ए-सालिस में जियारत की
आगरा आने के बाद उन्होंने न्यू आगरा स्थित दरगाह शहीद-ए-सालिस में जियारत की। इसके बाद मां से उन्होंने पूछा कि क्या वह ताजमहल देखना पसंद करेंगी। उन्होंने जब सहमति दी तो वह ताजमहल पहुंच गए। ताजमहल में स्ट्रेचर की अनुमति नहीं होने से पूर्वी गेट पर प्रवेश से रोक लिया गया।