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सड़क सुरक्षा के लिए आवंटन थोड़ा, खर्च अधूरा; संसदीय समिति ने पूरा पैसा इस्तेमाल न होने पर जताई हैरानी

Updated : Fri, 17 Feb 2023 05:22 PM

शोध, प्रशिक्षण, अध्ययन और सड़क सुरक्षा के लिए अन्य अहम योजनाओं पर पिछले कई सालों से लचर खर्च लेकर संसदीय समिति दुखी है। पूरे देश में नेशनल हाईवे नेटवर्क में सड़क सुरक्षा की स्थिति में सुधार और लोगों की जान बचाने के लिए ड्राइवरों का प्रशिक्षण, प्रचार और जागरुकता के कार्यक्रम, दुर्घटना राहत योजना जैसे कार्यक्रम अत्यंत जरूरी हैं। 

समिति इस मद में लगातार कम खर्च के पैटर्न को लेकर सड़क परिवहन मंत्रालय के जवाब से संतुष्ट नहीं है और यह मानती है कि तत्काल सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए ताकि जो सीमित आवंटन किया भी गया है, उसका समुचित इस्तेमाल हो सके। इस पैटर्न से हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने को लेकर मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े होते हैं। 

समिति का सुझाव है कि आने वाले वर्षों में रोड सेफ्टी पर सबसे अधिक ध्यान देने के लिए मंत्रालय इस कमी को बिना किसी देरी के दूर करे। यह अंश है बजट सत्र के दौरान संसद में रखी गई परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से संबंधित स्थायी समिति की एक एक्शन टेकेन रिपोर्ट का। सड़क सुरक्षा पर आवंटन से भी कम खर्च की प्रवृत्ति को रेखांकित करने के लिए समिति ने यह टिप्पणी भी कि पिछले साल के संशोधित अनुमान 229 करोड़ रुपये के मुकाबले मंत्रालय जनवरी 2022 तक केवल 81 करोड़ रुपये खर्च कर सका यानी कुल आवंटन का केवल 35 प्रतिशत।

इससे यह साफ हो जाता है कि सड़क सुऱक्षा को लेकर न तो तात्कालिकता का अहसास है और न ही मौतें नियंत्रित करने का जज्बा दिखाया जा रहा है। अगले साल के बजट में सड़क सुरक्षा के लिए 330 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, पिछले साल के मूल आवंटन 356 करोड़ रुपये से भी कम है, जबकि संशोधित अनुमान में यह राशि केवल 273 करोड़ रुपये ही थी।

सड़क सुरक्षा को लेकर संसदीय समिति की टिप्पणियों और निष्कर्षों पर मंत्रालय ने यह आश्वासन भी दिया था कि इन पर अमल किया जाएगा और रोड सेफ्टी के लिए आवंटित धनराशि के अधिकतम इस्तेमाल के लिए विस्तृत एक्शन प्लान बनाया जाएगा। इसके बावजूद न तो आवंटन बढ़ा और न ही यह देखने की व्यवस्था की गई कि इस एक्शन प्लान पर कितना अमल हुआ।