पीएम मोदी ने लॉन्च किया इथेनॉल फ्यूल, जानें पेट्रोल और डीजल के मुकाबले कैसे होगा फायदेमंद
Updated : Mon, 06 Feb 2023 12:47 PM

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इंडिया एनर्जी वीक (IEW) 2023 में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को लॉन्च कर दिया है। काफी समय से सरकार इस कोशिश में लगी थी कि इथेनॉल (Ethanol) के इस्तेमाल को बढ़ाया जा सके। अब पहले चरण के रूप में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल (E-20) का इस्तेमाल शुरू किया जा चुका है।
शुरूआती चरण में इसे 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से विदेशी मुद्रा पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा और जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ाया जा सकेगा।
चरणों में शुरू की जा रही पहल
20 प्रतिशत इथेनॉल के साथ मिलने वाले ईंधन को भारत के शहरों में चरणों में लाया जा रहा है। पहले चरण के रूप में 15 शहरों को कवर किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में अगले दो साल में पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा। E-20 पेट्रोल 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 84 पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जाएगा।
क्या है E-20
E-20 या इथेनॉल 20 का मतलब है कि गाड़ियों कर लिए मिलने वाले इथेनॉल में 20 प्रतिशत इथेनॉल की मात्रा होगी, जबकि 80 प्रतिशत पेट्रोल को मिलाया जाएगा। बता दें कि अब तक भारत में इथेनॉल 10 का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें मिलने वाले ईंधन पर 10 फीसदी तक इथेनॉल को मिलाया जा रहा है।
बता दें कि E20 को पायलट आधार पर समय से पहले रोल आउट किया जा रहा है और इस प्रोजेक्ट को 2025 तक बढ़ाया गया है।
वर्तमान में इथेनॉल का उत्पादन
इथेनॉल के उत्पादन की बात करें तो वर्तमान समय में देश में इथेनॉल की उत्पादन क्षमता लगभग 1,037 करोड़ लीटर है। इसमें 700 करोड़ लीटर गन्ना आधारित और 337 करोड़ लीटर अनाज आधारित उत्पादन शामिल है। वहीं, 2022-23 के लिए पेट्रोल-इथेनॉल वाले ईंधन आवश्यकता 542 करोड़ लीटर है। यह 2023-24 के लिए 698 करोड़ लीटर और 2024-25 के लिए 988 करोड़ लीटर है।
गन्ना किसानों को मिलेगा फायदा
E-20 कार्यक्रम से सनसे ज्यादा फायदा गन्ना किसानों कोप होने वाला है। इसे इन्हे अतिरिक्त आय के रूप में देखा जा रहा है। पिछले आठ साल के आंकड़ों पर ध्यान दें तो इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने इससे 81,796 करोड़ रुपये कमाए हैं, जबकि किसानों को 49,078 करोड़ रुपये मिले हैं। देश ने विदेशी मुद्रा व्यय में 53,894 करोड़ रुपये की बचत की। साथ ही, इससे 318 लाख टन कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में कमी आई।