Budget 2023: महंगाई और वैश्विक सुस्ती पर होगा फोकस
Updated : Wed, 04 Jan 2023 12:00 AM

आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार मुख्य रूप से महंगाई, वैश्विक सुस्ती, ग्रामीण खपत में होने वाली कमी जैसी चुनौतियों का ध्यान रखेगी। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में आगामी वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का छह प्रतिशत तक रह सकता है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह लक्ष्य जीडीपी का 6.4 प्रतिशत है। पूंजीगत खर्च में सरकार पहले की तरह बढ़ोतरी कर सकती है और नए वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च के मद में 10 लाख करोड़ रुपये तक का आवंटन हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक महंगाई नियंत्रित रहने पर ही खपत बढ़ेगी। खासकर ग्रामीण इलाके की खपत पर महंगाई का काफी असर पड़ता है। त्योहारी सीजन के बाद से ग्रामीण खपत में कमी आ रही है जो अर्थव्यवस्था के लिए ¨चता का विषय है। हालांकि पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी से सरकार चालू वित्त वर्ष की तरह ही खपत और रोजगार बढ़ाने की कोशिश करेगी।
इनकम टैक्स में कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, आगामी बजट में सरकार की तरफ से इनकम टैक्स में कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। जानकारों के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष में सरकार की खाद और खाद्य सब्सिडी चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम रहेगी, जिससे सब्सिडी प्रबंधन में मदद मिलेगी। घरेलू उत्पादन की वजह से आगामी वित्त वर्ष में खाद सब्सिडी 1.5 लाख करोड़ रुपये तक रह सकता है जबकि चालू वित्त वर्ष में खाद सब्सिडी 2.3 लाख करोड़ तक पहुंच गया। खाद्य सब्सिडी भी चालू वित्त वर्ष के 2.7 लाख करोड़ के मुकाबले 2.3 लाख करोड़ तक सकता है। हालांकि मनरेगा के आवंटन में कमी आने की कोई संभावना नहीं है और हो सकता है शहरी रोजगार के लिए भी सरकार आगामी बजट में कोई घोषणा करे।