नये साल का पहला व्रत होगा पुत्रदा एकादशी, ऐसे करें भगवान विष्णु की आराधना
Updated : Tue, 27 Dec 2022 12:25 PM

नये साल के व्रत-त्योहारों की शुरुआत पुत्रदा एकादशी से होने जा रही है। हिंदू धर्म में एकादशी को व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है और नए साल में सबसे पहला व्रत एकादशी का ही है। इसे वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाला व्यक्ति तमाम पापों से मुक्त हो जाता है। साथ ही पितरों की कई पीढ़ियों को भी इसका फल मिलती है। संतान से संबंधी संकट को दूर करने के लिए भी ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में साल की शुरुआत एकादशी व्रत से हो, तो पूरा साल शुभ होने की संभावना बनती है।
2023 में पहला व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का है। एकादशी की पूजा भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर निसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है।
पौष मास का अंतिम एकादशी व्रत 2 जनवरी साल 2023, सोमवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि का प्रारंभ 1 जनवरी शाम 7:12 से होने जा रहा है, जो 2 जनवरी शाम 8:24 पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत 2 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। इस व्रत का पारण 3 जनवरी को सुबह 07.16 से सुबह 09.22 तक किया जा सकता है।
कैसे करें पूजन
पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार आता है, एक पौष में और दूसरा सावन मास में। ये व्रत संतान की रक्षा और उसके उज्जवल भविष्य के लिए किया जाता है। इस दिन पति-पत्नी को भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। वहीं ब्रह्ममुहूर्त में चांदी के लोटे में दूध में मिश्री मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाने से संतान की मनोकामना पूरी होती है। वहीं, पौष पुत्रदा एकादशी की शाम के समय तुलसी की जड़ में घी का दीया जलाने से संतान पर आने वाला संकट टल जाता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनकर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए, इससे भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं।