गुरुवार के दिन पूजा के समय जरूर करें इस स्त्रोत का पाठ, पूरी होगी हर मनोकामना
Updated : Wed, 05 Jul 2023 05:52 PM

गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है। साथ ही श्री साईं बाबा की भी श्रद्धा भाव से पूजा-आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि साईं बाबा के नाममात्र सुमिरन से व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से साईं बाबा की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी साईं बाबा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन पूजा के समय साईं स्तुति अवश्य करें। आइए, साईं स्तुति का पाठ करें-
साईं स्तुति
जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।
चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर।
त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा।
मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस।
मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए।
जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर।
मुझमें लीन वचन मन काया , उसका ऋण न कभी चुकाया।
धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य।
साईं स्तोत्र
जय जय साईनाथा शुभ तव गाथा प्रकट ब्रह्म श्री संता ।
जय करुणसागर सब गुण आगर अलख-असीम अनंता ॥
जय सर्वज्ञानी अंतर्यामी अच्युत-अनूप- महंता ।
जय सिद्धिविनायक शुभ फलदायक पालक जगत नियंता ॥
जय सृष्टि रचयिता धारणकर्ता सर्वश्रेष्ठ अभियंता ।
जय सर्वव्यापी परम प्रतापी प्रेम-पयोधि प्रशांता ॥
जय सहज कृपाला दीन दयाला प्रणतपाल भगवंता ।
जय सच्चिदानंद प्रभु गोविंदा हिय कोमल अत्यंता ॥
जय जय अविनाशी मशिद निवासी परम पवित्र पुनीता ।
जय जन हितकारी मुनि मनिहारी सर्वसुलभ धीमंता ॥
जय जय शुभकारक अधमउद्धारक अतुलनीय बलवंता ।
जय कृपानिधाना सुह्रद सुजाना लोभ-मोह-मद हन्ता ॥
जय अहम निवारक चित्र सुधारक शुद्ध ह्रदय श्रीकांता ।
जय अजर-अजन्मा शुभ गुण धर्मा ध्यान लीन अति शांता ॥
जय नाथ निराला ह्रदय विशाला निरासक्त गुणवंता ।
जय वृति नियामक तृप्ति प्रदायक स्वयं सदगुरु दत्ता ॥
जय जय त्रिपुरारी कृष्ण मुरारी जय जय जय हनुमंता ।
जय साई भिखारी अति अनुरागी व्यापित सकल दिगंता ॥
गाऊँ तव लीला मधुर रसीला बोधपूर्ण वृतांता ।
बोलूँ कर जोड़ी स्तुति तोरी सुनहुँ प्रार्थना संता ॥
जय जय सन्यासी हरहूँ उदासी प्रेम देहुँ जीवंता ।
जय जय श्री साई अति प्रिय माई करुणा करहुँ तुरन्ता ॥
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