Ashadha Gupt Navratri 2023: कब से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानें-पूजा विधि एवं महत्व
Updated : Tue, 30 May 2023 05:41 PM

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार वर्ष 2023 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून से लेकर 28 जून तक है। आसान शब्दों में कहें तो इस साल गुप्त नवरात्रि 19 जून को शुरू होगी और 28 जून को समाप्त होगी। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। मां दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं। वहीं, दस महाविद्या तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी हैं। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-उपासना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती है। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर मां अपने भक्तों को मनोवांछित फल देते हैं। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं मां की कृपा से पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति प्राप्त होती है। आइए, पूजा विधि और तिथि जानते हैं-
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले मां दुर्गा को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई और नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब लाल रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात 'ॐ पवित्राय नमः' का मंत्रोच्चारण कर आचमन करें। इसके बाद व्रत संकल्प लें। अब मां का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसका भावार्थ है- हे नारायणी ! जगत जननी ! मां अन्नपूर्णा आपको मेरा दंडवत प्रणाम। हे मां- मुझे मुझे सद्बुद्धि दें, सत्मार्ग पर चलने की शक्ति दें। अपनी कृपा से मेरा जीवन धन्य करें।
इसके पश्चात, मां दुर्गा की पूजा फल, फूल, लाल पुष्प, दूर्वा, धूप, दीप आदि से करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का जरूर पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। साधक चाहे तो दिन में एक बार फलाहार कर सकते हैं। शाम में आरती कर फलाहार करें।
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