Somvati Amavasya को नैमिषारण्य में लाखों श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी; 10 वर्षों के बाद बना ऐसा पावन योग
Updated : Sun, 19 Feb 2023 06:35 AM

सोमवती अमावस्या पर 20 फरवरी को यहां चक्रतीर्थ एवं आदि गंगा गोमती में स्नान के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का आगमन होगा। धार्मिक दृष्टि से फाल्गुन मास का बहुत ही खास महत्व होता है। यह पूरा माह आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या तिथि होती है। इस साल फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी सोमवार को है। सोमवार के दिन अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाती है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने जाते हैं। इस दिन स्नान-दान करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली आती है।
सोमावती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या का संयोग दुर्लभ होता है इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियों के लिए इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चंदन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं। आचार्य ने बताया कि इस दिन सरसों के तेल का प्रयोग व स्पर्श वर्जित होता है।
दुर्लभ है फाल्गुन मास की सोमावती अमावस्या का संयोग
ज्योतिषाचार्य सदानंद द्विवेदी के अनुसार फाल्गुन माह में सोमवती अमावस्या का संयोग दुर्लभ है, जो कि 10 वर्षो के बाद पड़ रहा है। उन्होने बताया कि उससे पूर्व वर्ष 2013 में फाल्गुन माह में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था, वर्ष 2023 में ये पहला मौका है। जब सोमावती अमावस्या का संयोग बना है, जो कि बहुत ही शुभ फलदायी है। अमावस्या तिथि का प्रारम्भ रविवार को सायं 04:21 से प्रारंभ हो रही है।
उदयव्यापिनी होने के कारण अमावस्या सोमवार को मानी जाएगी, मध्यान्ह काल में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करना हितकर होगा। सोमावती अमावस्या को श्वेत वस्तुओं का दान करने से चंद्र, शुक्र देवता प्रसन्न होते हैं।