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India-Japan Relations: उभरता हुआ मैन्युफैक्चरिंग हब है भारत, जापानी एसएमई को लाने की हो रही तैयारी

Updated : Thu, 16 Feb 2023 05:05 PM

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) जापान के एसएमई को भारत लाने की तैयारी में जुट गया है। कोरोना काल से जापानी कंपनियां भी भारत में निवेश को लेकर काफी दिलचस्पी ले रही हैं।

औद्योगिक संगठन फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी भारत में जापान की 1439 कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि चीन में जापान की 13,000-15,000 एसएमई यूनिट चल रही है, जो जापान की कुल एसएमई का 40-60 फीसद है। चीन में काम करने वाली जापानी कंपनियां पिछले चार सालों से भारत में निवेश को लेकर मौका तलाश रही है और इस दिशा में भारत सरकार के साथ कई राउंड की बैठक भी हो चुकी है।

क्या विकास गाथा का हिस्सा बनेंगी जापानी कंपनियां?

हाल ही में इंडिया-जापान बिजनेस कॉरपोरेशन की बैठक में डीपीआईआईटी सचिव अनुराग जैन ने कहा कि फिलहाल जितने अवसर भारत में हैं, वह कहीं और नहीं हैं। अगला तीन दशक भारत के विकास की गाथा का दशक साबित होने जा रहा है। उन्होंने जापानी कंपनियों से इस विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए भारत में आने के लिए कहा। निवेश के लिए भारत को मुफीद जगह बताने के लिए जापानी कंपनियों के समक्ष इंडोनेशिया, थाईलैंड व वियतनाम जैसे आसियान देशों के साथ भारत की तुलना भी की गई।

IMF ने भारत समेत कई देशों की विकास दर का जताया अनुमान

फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ष 2023 में इंडोनेशिया की विकास दर पांच फीसद, थाईलैंड की विकास दर 3.7 फीसद, वियतनाम की विकास दर 6.2 फीसद तो भारत की विकास दर 6.1 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।

इंडोनेशिया मुख्य रूप से रबर, पाम ऑयल, इलेक्ट्रिक उपकरण, गैस-तेल व खनिज का मुख्य रूप से निर्यात करता है और इनके उत्पादन पर ही इंडोनेशिया का जोर रहता है। थाईलैंड का उद्योग मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील व ऑटोमोटिव पर आधारित है। वियतनाम फोन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, मशीनरी, टेक्सटाइल व फुटवियर का निर्माण व निर्यात करता है।